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पहली बार घर में गणेश जी की स्थापना कर रहे हैं? जानें जरूरी नियम
हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व विशेष आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। यह दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि किसी भी शुभ या धार्मिक कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा से करने पर सफलता मिलती है।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त अपने घरों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धा और भक्ति के साथ दस दिनों तक उत्सव मनाते हैं। अगर आप पहली बार गणपति स्थापना करने जा रहे हैं, तो इसके कुछ खास नियमों और परंपराओं को जानना बेहद जरूरी है।पहली बार गणपति स्थापना के लिए जरूरी नियम
शुभ तिथि और मुहूर्त देखें
गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है।
स्थापना प्रातःकाल या शुभ मुहूर्त में करें।
शुद्धि और साफ-सफाई
घर को अच्छे से साफ करें। पूजा स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से पवित्र करें।
पूजा का आसन लकड़ी या पीढ़े पर लाल या पीले कपड़े से सजाएँ।
प्रतिमा की दिशा
गणपति जी की मूर्ति उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्थापित करें।
मूर्ति ऐसी हो जिसमें गणेश जी बैठे हुए हों और उनका मुख मुख्य द्वार की ओर हो।
मूर्ति का चयन
पहली बार स्थापना के लिए मिट्टी (शाडू माटी) की प्रतिमा लेना शुभ माना जाता है।
मूर्ति का आकार बहुत बड़ा न हो, ताकि विसर्जन में सुविधा हो।
व्रत और संकल्प
स्थापना से पहले स्नान कर पीले या लाल वस्त्र पहनें।
पूजा शुरू करने से पहले गणेश जी का संकल्प लें।
पूजा सामग्री रखें तैयार
मोदक, दूर्वा घास, पान के पत्ते, सुपारी, नारियल, लाल फूल, दीपक, अगरबत्ती आदि जरूर रखें।
गणपति को लाल रंग और मिठाई विशेष प्रिय है।
दैनिक पूजा और आरती
पूरे 10 दिनों तक सुबह-शाम आरती करें, मंत्र जपें और भोग लगाएँ।
घर का वातावरण पवित्र और शांत रखें।
विसर्जन का नियम
अनंत चतुर्दशी (10वें दिन) या परिवार की सुविधा अनुसार प्रतिमा का विसर्जन करें।
विसर्जन जल में ही करें और पर्यावरण का ध्यान रखें।