
इंडिया गठबंधन में जेपीसी को लेकर मतभेद, टीएमसी ने बहिष्कार का संकेत दिया
केंद्र सरकार हाल ही संपन्न हुए संसद के मानसून सत्र में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को बर्खास्त करने से संबंधित नया विधेयक लेकर आई। जैसे ही यह बिल लोकसभा में पेश हुआ, विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया, जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूरी दे दी।
जेपीसी में सभी दलों के सांसद शामिल होंगे और वे इस कानून पर विचार कर अपनी राय देंगे। इस विधेयक में प्रावधान है कि अगर किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को 30 दिनों के लिए जेल की सजा हो जाती है, तो उन्हें पद से हटाया जाएगा।
हालांकि, इस मुद्दे पर विपक्षी INDIA गठबंधन में मतभेद उभर आए हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जेपीसी का हिस्सा नहीं बनना चाहती। पार्टी का कहना है कि इस कानून का खुलकर विरोध होना चाहिए, जबकि कांग्रेस, डीएमके और समाजवादी पार्टी जेपीसी में शामिल होने के पक्ष में हैं।
कांग्रेस को समिति में 4-5 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि अन्य सहयोगी दलों ने भी इसमें शामिल होने की इच्छा जताई है। बुधवार को हुई INDIA गठबंधन की बैठक में इस पर गहन चर्चा हुई। टीएमसी नेताओं का मानना है कि जेपीसी का बहिष्कार कर सरकार को कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए। वहीं, अन्य विपक्षी दलों का तर्क है कि समिति में शामिल होकर ही वे अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।
बैठक में यह भी उदाहरण दिया गया कि वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी की कार्यवाही का उल्लेख सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में हुआ था, जिससे विपक्ष का रुख मजबूत हुआ।
फिलहाल, मानसून सत्र के दौरान विपक्ष एकजुट नजर आया था, लेकिन सत्र के आखिरी दिन पेश हुए तीन विधेयकों ने दरारें पैदा कर दी हैं। अब सबकी निगाहें टीएमसी के अंतिम फैसले पर टिकी हैं—क्या पार्टी जेपीसी का बहिष्कार करेगी या बाकी विपक्षी दलों के साथ मिलकर इसमें शामिल होगी?