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भारतीय मुक्केबाजी महासंघ चुनाव: लंबे इंतज़ार के बाद अब होगा फैसला

 

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (BFI) में महीनों से चल रही खींचतान और अनिश्चितता का अंत अब चुनावों के साथ होने जा रहा है। गुरुवार को होने वाले इन चुनावों से तय होगा कि संगठन की बागडोर किसके हाथ में जाएगी।

दो बार अध्यक्ष रह चुके स्पाइसजेट के प्रबंध निदेशक अजय सिंह लगातार तीसरी बार पद संभालने की कोशिश में हैं। उनका कार्यकाल 2 फरवरी को समाप्त हो चुका था, लेकिन तब से लेकर अब तक वे महासंघ की गतिविधियों के केंद्र में बने हुए हैं। हाल ही में वे विश्व मुक्केबाजी द्वारा बनाई गई अंतरिम समिति के भी अध्यक्ष थे, जिसने महासंघ का दैनिक संचालन किया।

अंतरिम समिति के कार्यकाल में कई बड़े बदलाव किए गए— पुरुष और महिला टीम के लिए नए कोच नियुक्त हुए, संविधान में संशोधन हुआ और खिलाड़ियों के चयन की विवादास्पद प्रक्रिया को बदला गया। इसी दौरान केरल इकाई प्रमुख डी. चंद्रलाल को महिला टीम का मुख्य कोच बनाया गया। दिलचस्प बात यह है कि चंद्रलाल भी कभी अध्यक्ष पद के दावेदारों में शामिल थे। समिति ने चुनावों से पहले पूर्व महासचिव हेमंत कलिता का निलंबन भी हटा दिया था।

हालांकि, इस अंतरिम समिति की वैधता पर लगातार सवाल उठते रहे। भारतीय ओलंपिक संघ की जांच समिति ने राष्ट्रीय खेल संहिता 2011 के उल्लंघन का हवाला देकर इसे भंग करने की सिफारिश की थी। कई राज्य इकाइयों ने भी संवैधानिक संशोधनों को लेकर कानूनी कदम उठाए। फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव कराने की अनुमति तो दी है, लेकिन नतीजे न्यायालय में चल रही कार्यवाही पर निर्भर रहेंगे।

अजय सिंह के सामने मुकाबले में हैं जसलाल प्रधान, जो 1984 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और सिक्किम राज्य इकाई के प्रमुख हैं। उन्हें हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। यह गुट अजय सिंह पर महासंघ को मनमाने ढंग से चलाने और बिना कार्यकारी समिति से सलाह लिए विदेशी कोच नियुक्त करने जैसे आरोप लगा रहा है।

चुनाव मार्च में होने थे, लेकिन कानूनी अड़चनों और अपीलों के कारण बार-बार टलते रहे। करीब छह महीने बाद अब जाकर ये बहुप्रतीक्षित चुनाव होने जा रहे हैं।