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सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को निर्देश: सेना प्रशिक्षण के दौरान दिव्यांग हुए कैडेट्स की सुध ले सरकार, सिर्फ 40,000 रुपये से नहीं चलता इलाज

 

नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और भारतीय सेना से उन कैडेट्स की स्थिति पर जवाब मांगा है जिन्हें सैन्य प्रशिक्षण के दौरान गंभीर चोटें आईं या वे दिव्यांग हो गए और जिन्हें इसके बाद मेडिकल आधार पर बाहर कर दिया गया।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने इस मामले में गहरी चिंता जताते हुए कहा कि ऐसे कैडेट्स के प्रति सरकार की जिम्मेदारी बनती है। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह 4 सितंबर तक इस मुद्दे पर एक स्पष्ट और ठोस योजना पेश करे।

सिर्फ 40,000 रुपये की मदद पर्याप्त नहीं

फिलहाल, ऐसे कैडेट्स को अधिकतम ₹40,000 प्रतिमाह की एक्स-ग्रेशिया (सहानुभूति राशि) दी जाती है, जो उनकी चिकित्सा जरूरतों और पुनर्वास के लिए बेहद नाकाफी है। अदालत ने केंद्र से कहा कि वह इस राशि को बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करे।

बीमा और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग

पीठ ने यह भी सवाल उठाया कि क्या ऐसे कैडेट्स के लिए विशेष बीमा योजना लागू की जा सकती है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “जब ये युवा देश की सेवा के लिए कठिन प्रशिक्षण लेते हैं, तो उनकी सुरक्षा की भी जिम्मेदारी सरकार की है।”

डेस्क जॉब्स और पुनर्वास का सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि दिव्यांग हो चुके कैडेट्स को पूरी तरह बाहर करने के बजाय उन्हें सेना में डेस्क जॉब्स या प्रशासनिक कार्यों में समायोजित किया जा सकता है। अदालत ने कहा, “हम चाहते हैं कि ये बहादुर नौजवान सेना से जुड़े रहें। हम नहीं चाहते कि एक चोट या दिव्यांगता उनके पूरे करियर को खत्म कर दे।”

एक्स-सर्विसमैन का दर्जा नहीं, इलाज से वंचित

रिपोर्ट के अनुसार, साल 1985 से अब तक करीब 500 कैडेट्स को मेडिकल आधार पर प्रशिक्षण से बाहर किया गया है। इन कैडेट्स को एक्स-सर्विसमैन का दर्जा नहीं मिलता क्योंकि उन्हें अधिकारी के रूप में कमीशन मिलने से पहले ही सेवा से मुक्त कर दिया जाता है। इस कारण वे ईसीएचएस (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme) जैसी सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं।

विशेष रूप से, सिर्फ एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) से ही 2021 से जुलाई 2025 के बीच लगभग 20 कैडेट्स को मेडिकल आधार पर बाहर किया गया है। इनमें से कई युवा आज भी महंगे इलाज और पुनर्वास की जद्दोजहद में हैं।