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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025: व्रत और पूजा के नियम

 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व भक्ति, प्रेम और धर्म की विजय का प्रतीक है। इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा।

भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन कुछ नियमों का पालन करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।

🌼 जन्माष्टमी पर क्या करें?

सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

दिनभर पवित्रता और संयम बनाए रखें।

फलाहारी व्रत रखने वाले व्यक्ति फल, दूध, दही, माखन, साबूदाना, और कुट्टू आटे से बने व्यंजन ले सकते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा सुबह और रात में करें।

रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म के समय विशेष पूजन करें।

व्रत का पारण सबसे पहले भगवान को भोग अर्पित करके करें।

भजन-कीर्तन, श्रीकृष्ण लीला का पाठ या मंत्र जाप करें।

🚫 जन्माष्टमी पर क्या न करें?

अन्न और नमक का सेवन न करें। सिर्फ फलाहार या निर्जला उपवास करें।

तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा) का पूरी तरह त्याग करें।

दिन में सोने से बचें, यह व्रत के नियमों के विरुद्ध माना जाता है।

काले रंग के कपड़े न पहनें और पूजा में भी काले रंग का उपयोग न करें।

क्रोध, विवाद और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

🌟 जन्माष्टमी का आध्यात्मिक महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, जब मथुरा का राजा कंस अत्याचार फैला रहा था, तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। बाल्यकाल से ही श्रीकृष्ण ने कई दिव्य लीलाएं कीं, जिनमें कंस वध प्रमुख है। उनका जीवन धर्म की स्थापना, प्रेम, करुणा और नीति का आदर्श है।

इस जन्माष्टमी, आइए हम भी श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।