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आवारा कुत्तों से बढ़ रहा रेबीज का खतरा: एक लापरवाही पड़ सकती है जान पर भारी, डॉक्टरों से जानिए जरूरी बातें

 

देश में आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने के मामले हाल के महीनों में तेजी से बढ़े हैं। इससे जुड़ी चिंता का एक बड़ा कारण है – रेबीज, जो एक जानलेवा वायरस है। संक्रमित जानवरों की लार से फैलने वाला यह वायरस एक बार सक्रिय हो जाने के बाद लगभग अजेय होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रेबीज से मृत्यु दर करीब 100 फीसदी है। यही कारण है कि इसकी रोकथाम और समय पर उपचार बेहद जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर में रखने का आदेश

11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से शेल्टर होम्स में रखने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि ऐसे कुत्तों को दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए, जिससे नागरिकों को काटने और संक्रमण के खतरे से बचाया जा सके। इस मामले में 14 अगस्त को सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

गंभीर हालात: लाखों काटने के मामले, कई मौतें

2024 में देशभर में कुत्तों के काटने के 37 लाख से अधिक मामले रिपोर्ट हुए, जिनमें से 54 मौतें रेबीज के संदिग्ध मामलों में हुईं।

जनवरी 2025 में ही महाराष्ट्र और गुजरात में 50 हजार से ज्यादा मामले सामने आए।

उत्तर प्रदेश में एक राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी (22) की हाल ही में रेबीज से मौत हो गई। उन्हें कुत्ते ने काटा था, लेकिन समय पर एंटी-रेबीज इंजेक्शन नहीं लगने के कारण उनकी हालत बिगड़ती गई और अंत में उनकी जान चली गई।

क्या है रेबीज और क्यों है इतना खतरनाक?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, रेबीज एक वायरल संक्रमण है जो आमतौर पर संक्रमित जानवर की लार से फैलता है, खासकर जब कुत्ता काटता है। सबसे खतरनाक बात यह है कि रेबीज के लक्षण दिखने के बाद इसका इलाज लगभग असंभव होता है।

लक्षणों में तेज बुखार, घबराहट, गले में ऐंठन, पानी से डर लगना, भ्रम और लकवा शामिल हैं।

एक बार लक्षण उभरने के बाद व्यक्ति की जान बचा पाना मुश्किल हो जाता है।

रोकथाम ही है एकमात्र उपाय

विशेषज्ञों की राय है कि रेबीज से बचने के लिए समय पर टीकाकरण बेहद जरूरी है:

यदि किसी को कुत्ता काट ले तो तुरंत घाव को साबुन और पानी से धोएं

इसके बाद तुरंत नजदीकी अस्पताल जाकर पोस्ट-एक्सपोज़र प्रोफिलेक्सिस (PEP) यानी एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगवाएं

पशुओं के संपर्क में रहने वाले लोगों को प्रिवेंटिव वैक्सीन लेने की भी सलाह दी जाती है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में हर साल करीब 59,000 लोगों की मौत रेबीज से होती है, जिनमें से एक बड़ी संख्या भारत से होती है।

निष्कर्ष

रेबीज एक ऐसा खतरा है जिसे केवल सावधानी और जागरूकता से रोका जा सकता है। कुत्ते के काटने को कभी भी हल्के में न लें। समय पर कदम उठाकर एक जान बचाई जा सकती है। साथ ही, सरकार और नगर निगमों को चाहिए कि आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान निकालें, ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।