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श्रीकृष्ण और 64 कलाएं: जानिए क्या थीं वो अद्वितीय विद्याएं
भगवान श्रीकृष्ण न केवल एक महान योद्धा, राजनायक और सखा थे, बल्कि वे 64 कलाओं में भी पूर्ण निपुण माने जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार, उन्होंने यह सभी कलाएं गुरु संदीपनि के आश्रम में मात्र 64 दिनों में सीख ली थीं — यह अद्भुत ज्ञान आज भी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। आइए इस अवसर पर जानें वे कौन-सी 64 कलाएं थीं, जिनमें श्रीकृष्ण ने दक्षता प्राप्त की थी।
🕉️ भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जित 64 कलाएं
नृत्य कला – विभिन्न नृत्य रूपों का अभ्यास
वाद्य संगीत – अनेक वाद्य यंत्र बजाना
गायन – सुर, ताल और रागों का ज्ञान
नाट्य – अभिनय व भाव-प्रदर्शन की कला
इंद्रजाल – जादू व मोहक प्रयोग
नाटक रचना – आख्यायिका व कथा लेखन
सुगंध निर्माण – इत्र, धूप, तेल आदि बनाना
फूलों से श्रृंगार – पुष्पों से आभूषण बनाना
बेताल-विद्या – तांत्रिक विद्याओं का अभ्यास
बाल क्रीड़ाएं – बच्चों के विविध खेल
विजय साधना – सफलता दिलाने वाली विधियां
मंत्रविद्या – शक्तिशाली मंत्रों का ज्ञान
शकुन-अपशकुन ज्ञान – शुभ-अशुभ संकेतों की पहचान
रत्न कटाई – रत्नों को विभिन्न आकारों में तराशना
मातृका यंत्र – तांत्रिक यंत्र बनाना
सांकेतिक भाषा – संकेतों द्वारा संवाद
जल-बंधन – जल की धारा को नियंत्रित करना
बेल-बूटे बनाना – सजावटी डिज़ाइन तैयार करना
पूजा-सामग्री निर्माण – रंग-बिरंगे चावल व फूलों से सजावट
फूलों की सेज बनाना
तोता-मैना भाषा – पक्षियों की बोली की नकल
वृक्ष चिकित्सा – पेड़-पौधों की देखभाल
पशु-पक्षियों की लड़ाई – जैसे मुर्गा या बटेर युद्ध
उच्चाटन विद्या – नकारात्मक ऊर्जा हटाना
निर्माण कला – घर आदि बनाना
गलीचा बनाना – दरी, चटाई निर्माण
बढ़ई कार्य – लकड़ी से वस्तु निर्माण
बेंत/बाण बनाना – शैय्या, आसन बनाना
भोजन बनाना – विविध स्वादिष्ट व्यंजन
हाथ की फुर्ती – जादुई हाथ की कला
वेष परिवर्तन – रूप बदलने की कला
पेय निर्माण – रस, मद्य आदि बनाना
द्यूतक्रीड़ा – पासा खेलने की विद्या
छन्दशास्त्र – विविध छन्दों का ज्ञान
वस्त्र बदलना/छिपाना
वस्तु आकर्षण – दूर की वस्तु को खींचना
वस्त्र-निर्माण
माला गूंथना
सिद्धि प्रदर्शन – चमत्कारी प्रयोग
फूलों के गहने बनाना – कान व चोटी के लिए
कठपुतली बनाना और नचाना
मूर्ति बनाना
पहेलियाँ बुझाना
सिलाई/कढ़ाई/रफू
केश-व्यवस्था – बालों की सफाई व सजावट
मन की बात जानना
विदेशी भाषाएं जानना
गुप्त संकेत भाषा समझना
धातु व रत्नों की परीक्षा
सोना-चांदी बनाना (अलकेमी)
मणियों का रंग पहचानना
खनिजों की पहचान
चित्रकला
शरीर, दांत व वस्त्र रंगना
शैय्या निर्माण
रत्नों से फर्श सजाना
कूटनीति
शास्त्र पढ़ाना
नई बातें गढ़ना
समस्यापूर्ति (छंद की पूर्ति)
कोषों का ज्ञान
श्लोकों में पदों की पूर्ति करना
चतुराई से कार्य सिद्ध करना
शंख, हाथीदांत आदि से गहना बनाना