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कलंक लगाना, चुगली करना भी महापाप 

– उपप्रवर्तनी  डॉ. श्री राजमती जी.म सा.

अजमेर 10 अगस्त मणिपुंज सेवा संस्थान में चातुर्मास हेतु विराजमान महाश्रमणी गुरुमाता महासती श्री पुष्पवती जी म. सा. के सान्निध्य में धर्म ध्यान का ठाट लगा है। प्रतिदिन भक्तामर स्तोत्र के सामूहिक गायन द्वारा प्रार्थना एवं मांगलिक साध्वी डॉ श्री राजवृद्धि जी म. सा.द्वारा करवाया जा रहा है।

 उपप्रवर्तिनी सदगुरुवर्या डॉ. श्री राजमती जी म.सा. ने प्रवचन देते हुए फरमाया तीर्थंकर परमात्मा के ये वचन हैं कि कलंक लगाने वाला,चुगली तथा किसी के साथ बहस करने अथवा निंदा करने वाला कभी धर्मात्मा नहीं हो सकता।उसके चित्त में हमेशा अंशाति और दुराग्रह की ऐसी स्थिति बनी रहती है कि वह ना तो स्वयं और ना ही दूसरों को शांति से रहने देता है। वह मर कर नरक तिर्यच गति में जाता है।श्री कृष्ण ने चुगलखोर को असुर यानि राक्षस की तरह बताया है। ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों पर कलंक लगाने से नहीं चूकता ऐसा व्यक्ति अपनी आत्मा को कर्मों के भार से  भारी कर लेता है और संसार से मुक्त नहीं हो पाता।

   साध्वीडॉ.श्री राजरश्मि जी म. सा. ने फरमाया  नम्रता को जीवन में जीने के तीन चरण हैं: कड़वी बात का भी मिठास से जवाब दीजिए, क्रोध आने पर चुप रहिए और अपराधी को दंड देते समय भी कोमलता रखिए।
 साध्वी डॉ. श्री राज ऋद्धि जी म.सा. ने फरमाया धर्म की बुनियाद शुद्ध व निर्मल भावना पर खड़ी है।जिसकी भावना शुद्ध होती है उसके द्वारा किए जप तप सेवा स्वाध्याय पूजा प्रार्थना सफल होते हैं और प्रभु और गुरु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
 विमल कावेडिया ने अतिथियों का स्वागत किया एवं चातुर्मास में भोजन व्यवस्था के लाभार्थी श्रीमान प्रकाश चंद  विकास कुमार चोपड़ा परिवार की अनुमोदना की।