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केवल एअर इंडिया को ही क्यों निशाना? सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा ऑडिट की याचिका खारिज की

 

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एअर इंडिया की सुरक्षा व्यवस्था और परिचालन प्रोटोकॉल की जांच के लिए स्वतंत्र समिति गठित करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। याचिका में एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति बनाने तथा अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से पूरे विमान बेड़े का सुरक्षा ऑडिट कराने की मांग की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिकाकर्ता नरेंद्र कुमार गोस्वामी से यह स्पष्ट किया कि केवल एअर इंडिया को ही निशाना क्यों बनाया गया, जबकि इस तरह की सुरक्षा जांच अगर आवश्यक है तो सभी एयरलाइनों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए।

‘यह किसी एयरलाइन की आलोचना का समय नहीं’

पीठ ने कहा, “ऐसा न लगे कि आप दूसरी एयरलाइनों के साथ खेल रहे हैं। सिर्फ एअर इंडिया को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है, जिसने हाल ही में एक दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी झेली है?” न्यायालय ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने का सुझाव देते हुए कहा कि इस प्रकार के मामलों के लिए उचित मंच पर जाना अधिक उपयुक्त होगा।

विमान हादसे की पृष्ठभूमि

उल्लेखनीय है कि 12 जून को एअर इंडिया का एक बोइंग ड्रीमलाइनर 787-8 विमान, जो अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था, टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे। यह हादसा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा और इसके बाद एयरलाइन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए गए।

क्या थी याचिका में मांग?

जनहित याचिका में गोस्वामी ने मांग की थी कि एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय समिति बनाई जाए जो एअर इंडिया की सुरक्षा प्रक्रियाओं और रखरखाव व्यवस्था की जांच कर तीन महीने में रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) से मान्यता प्राप्त एजेंसी से एअर इंडिया के सभी विमानों का विस्तृत ऑडिट कराए जाने की भी अपील की गई थी।

न्यायालय का संतुलित रुख

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “हम भी हर हफ्ते यात्रा करते हैं और जानते हैं कि स्थिति क्या है। यह समय किसी एयरलाइन की आलोचना का नहीं, बल्कि व्यावहारिक समाधान खोजने का है।”

न्यायालय के इस रुख से यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका किसी विशेष एयरलाइन को निशाना बनाने के प्रयास को उचित नहीं मानती, विशेषकर तब जब वह हाल ही में एक बड़ी त्रासदी से गुजर चुकी हो।