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भारत पर टैरिफ को लेकर ट्रंप अपने ही देश में घिरे, अमेरिकी सांसद ने दी चेतावनी

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए भारी आयात शुल्क को लेकर अब अमेरिका के भीतर ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। डेमोक्रेटिक सांसद और हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के वरिष्ठ सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने ट्रंप की टैरिफ नीति पर नाराज़गी जताते हुए चेतावनी दी है कि यह कदम अमेरिका-भारत के वर्षों पुराने रणनीतिक रिश्तों को नुकसान पहुँचा सकता है।

भारत पर 50% तक टैरिफ, रणनीतिक रिश्तों पर संकट
हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर 25% शुल्क लागू किया है, जो 7 अगस्त से प्रभावी हो गया है। इसके अलावा, भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर 25% अतिरिक्त शुल्क भी लगाया गया है, जो 27 अगस्त से लागू होगा। इस तरह भारत पर कुल मिलाकर 50% तक का टैरिफ लागू किया गया है—जो अमेरिका द्वारा किसी भी देश पर लगाए गए सबसे अधिक शुल्कों में से एक है।

"सम्मानपूर्वक समाधान आवश्यक" – ग्रेगरी मीक्स
सांसद मीक्स ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच लंबे समय से मजबूत रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, और किसी भी विवाद का समाधान आपसी सम्मान व लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने चेताया कि ट्रंप की यह 'टैरिफ तानाशाही' इन रिश्तों को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है।

मोदी-ट्रंप की दोस्ती पर भरोसा बरकरार
भारतीय-अमेरिकी उद्यमी और भू-राजनीतिक विश्लेषक अल मेसन ने ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों को मजबूत बताते हुए कहा कि यह केवल औपचारिक संबंध नहीं हैं, बल्कि दोनों नेताओं की सोच और रणनीति काफी हद तक मेल खाती है। उन्होंने कहा कि भले ही कुछ मुद्दों पर असहमति हो, लेकिन यह रिश्ता आपसी विश्वास और साझा उद्देश्यों पर आधारित है, जो इसे टिकाऊ बनाता है।

भारत-अमेरिका साझेदारी अब विकल्प नहीं, आवश्यकता है
मेसन ने आगे कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अनिवार्य है। यह साझेदारी न सिर्फ दोनों देशों की नीति को प्रभावित करेगी, बल्कि वैश्विक लोकतंत्र की दिशा भी तय कर सकती है।