
शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें या देश से माफी मांगें': राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग का कड़ा रुख
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा चुनावों में "वोट चोरी" और चुनाव आयोग व भाजपा के बीच "मिलीभगत" के गंभीर आरोप लगाने के बाद, चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। आयोग के सूत्रों का कहना है कि यदि राहुल गांधी को अपने आरोपों और विश्लेषण पर पूरा विश्वास है, तो उन्हें शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर, अपने दावों के समर्थन में प्रमाण पेश करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करते, तो यह माना जाएगा कि उनके आरोप निराधार हैं और ऐसी स्थिति में उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
आयोग के एक अधिकारी ने कहा, "राहुल गांधी के पास दो विकल्प हैं — या तो वे अपने आरोपों के समर्थन में शपथ-पत्र देकर प्रमाण प्रस्तुत करें, या फिर बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।"
क्या हैं राहुल गांधी के आरोप?
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हाल ही में प्रेस वार्ता में दावा किया कि कर्नाटक के बंगलूरू मध्य लोकसभा क्षेत्र की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर 1,00,250 फर्जी वोटर जोड़े गए ताकि भाजपा की जीत सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने उनके द्वारा मांगे गए आंकड़ों को साझा करने से इनकार कर दिया है।
राहुल ने आरोप लगाया, "नरेंद्र मोदी सिर्फ 25 सीटों के अंतर से प्रधानमंत्री बने हैं। यह जीत चुनाव आयोग और भाजपा की मिलीभगत का परिणाम है। यदि हम अन्य सीटों की भी इसी तरह जांच करें, तो लोकतंत्र की असली तस्वीर सामने आ जाएगी।"
शपथ-पत्र और सबूत देने की मांग
इन आरोपों के बाद कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी से औपचारिक रूप से शपथ-पत्र के माध्यम से सबूत पेश करने को कहा है। साथ ही, महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने उनसे अनुरोध किया है कि वे मतदाता सूची में फर्जी नाम जोड़ने या वैध नाम हटाने के आरोपों के समर्थन में प्रमाण प्रस्तुत करें।
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि बिना ठोस प्रमाण के इस तरह के गंभीर आरोप लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में या तो विपक्ष के नेता अपने दावों को साबित करें या फिर देश की जनता से माफी मांगें।