
त्रय गुरू भगवन्त बुध-मिश्री-रूप 'रजत' जन्म जयन्ती का हुआ भव्य आयोजन
अजमेर 7 अगस्त। महाश्रमणी गुरूमाता महासती श्री पुष्पवती जी (माताजी) म.सा. आदि ठाणा-7 के पावन सान्निध्य में मणिपुंज सेवा संस्थान में त्रय गुरू भगवन्त बुध-मिश्री-रूप'रजत' जन्म जयन्ती का आयोजन किया गया जिसमें सैंकड़ो अजमेर के श्रद्धालुओं एवं निकट तथा दूर के क्षत्रों से आये गुरू भक्तों ने गुरू गुणगान किया। सरलमना, तपस्वी, वचन सिद्ध साधक पूज्य श्री बुधमलजी म.सा. के लाडले शिष्य श्रमण सूर्य मरूधर केसरी प्रवर्तक गुरूदेव श्री मिश्रीमल जी म.सा. को वन्दनांजलि अर्पित करते हुए उपप्रवर्तिनी सदगुरूवर्या डॉ. श्री राजमती जी म.सा. ने फरमाया कि गुरूदेव का सम्पूर्ण वजूद चाबियों के गुच्छे जैसा था जिससे उन्होंने अपने शिष्य-शिष्याओं की आत्मा पर जड़े अनगिनत ताले खोल डाले। वचनों की चाबी या मौन संप्रेषण से और स्पर्श मात्र द्वारा भक्तों के आनन्द चक्र का ताला खोला। गुरूदेव का चिंतन, मनन, चरण, कर, दृष्टि सब कुछ अलौकिक चाबियों जैसे थे जो स्वत: संचालित हो जाते थे। वे गुरू मिश्री समाधान के लहराते हुए सागर थे जिसने श्रमण संघ की अनेक समस्याओं को सुलझाया पर वो ज्ञान का सागर कभी खाली नहीं हुआ। वे आनन्द का झरना बहाने वाले, सोयी हुई जनता में प्रेरणा के प्रदीप जलाने वाले और ग्राम-ग्राम, नगर-नगर में जिनवाणी गुंजाने वाले शंखनाद थे। आपका यश गौरव भक्तों के दिलों में प्राण वायु की तरह समाया हुआ है। आपके आशीर्वाद से शेरे-राजस्थान पूज्य गुरूदेव श्री रूपचंद जी म.सा. अहिंसा दिवाकर कहलाये। दो सौ से अधिक गौशालायें आपकी प्रेरणा से 'अभयदान' की गौरवगाथा कह रहे हैं। संगठन के पुजारी, विश्वमैत्री के संप्रेरक त्रय गुरू भगवन्तों के उपकारों से कभी ऋणमुक्त नहीं हुआ जा सकता। साध्वी डॉ. श्री राजरश्मि जी म.सा. ने फरमाया जैसे गुलाब तीनों कालों में सुगन्धित है, वैसे गुरू भगवंत भी सदगुणों के गुलाब हैं जो जिनशासन रूपी बगीचे में होते हुए सैंकड़ों कंटकों के बीच में अपनी व्यक्तित्व की सुगन्ध और कर्तृत्व का सौन्दर्य बिखेर गये जिसकी सुवास आज भी हमें महका रही है और भविष्य में भी हम उनकी शिक्षाओं रूपी सुगन्ध को अनुभव करके जीवन श्रेष्ठ बना सकेंगे। साध्वी डॉ. श्री राजऋद्धि जी म.सा. ने श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुए फरमाया सदाचार, संयम और नैतिकता के प्रकाश स्तम्भ पूज्य गुरूदेव ने तप-जप की शक्ति से वीरत्व जगा कर आध्यात्मिक उत्थान और सामाजिक कल्याण में अपनी ऊर्जा का सदुपयोग किया। आज भी वे भक्तों के भगवान के रूप में श्रद्धा के केन्द्र बने हैं। साध्वी डॉ. राजवृद्धि जी ने दया, अहिंसा, परमार्थ स्युं दशा सुधारे देश री ...... जैन धर्म रो साँचो जोगी बाबा मरूधर केसरी गीत की स्वर लहरियों से पूरी सभा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर दिया। साध्वी राजलक्षि जी एवं राजकीर्ति जी म.सा. ने भी गुरू गुणगान करके भावांजलि अर्पित की। श्री मरूधर केसरी महिला मण्डल ने 'श्रमण सूर्य बयालीसा' की सुन्दर प्रस्तुति दी। श्रीमती नीलू कांकरिया, सुमन गादिया, चन्दन बाला महिला मण्डल, पुष्कर एवं श्री मरूधर केसरी महिला मण्डल, मदनगंज-किशनगढ़ ने भी श्रद्धा भक्ति से गुरूदेवों का गुणगान किया। तपस्वी रत्ना धर्मनिष्ठ सुश्राविका श्रीमती सुशीला जी लोढ़ा के धर्मसभा में प्रवेश करते ही श्रावक-श्राविकाओं ने जय-जयकार करके मासक्षमण तप की अनुमोदना की। सदगुरूवर्या उपप्रवर्तिनी डॉ. श्री राजमती जी म.सा. के मुखारविन्द से 30 वें उपवास के प्रत्याख्यान हुए। श्री संघ की ओर से 9 श्रावक-श्राविकाओं ने अठाई तप (8 उपवास) करने का संकल्प लेकर तप साधिका का माला, चूंदड़ी एवं अभिनन्दन पत्र भेंट कर सात्विक हर्ष पूर्वक तपस्या की अनुमोदना की। श्री मरूधर केसरी महिला मण्डल, प्राज्ञ मित्र मण्डल, ब्राह्मी महिला स्वाध्याय महिला मण्डल द्वारा भी तपस्विनी बहिन का बहुमान किया एवं लोढ़ा परिवार को हार्दिक बधाई दी। पुष्कर, थांवला, ब्यावर, आसीन्द, बैंगलोर, जोधपुर, पाली, मदनगंज-किशनगढ़, पाटन, बांदनवाड़ा, भीलवाड़ा आदि क्षेत्रों से पधारे गुरू भक्तों का संघ मंत्री कैलाश गैलड़ा ने अभिनन्दन किया।कार्यक्रम में गौतम प्रसादी के लाभार्थी सेठ श्री उमरावमल जी, उम्मेदमल जी, प्रमोदकुमार जी चौपड़ा परिवार का संघ अध्यक्ष शिखर चंद सिंगी, राजेन्द्र गैलड़ा, प्रकाशचंद चौपड़ा, रमेश चंद खाब्या, अनिल चौरडिया, गौतम चंद लूणावत आदि समस्त कार्यकारिणी द्वारा अभिनन्दन किया गया।