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साइबर अपराधियों के जरिये राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को मिल रही फंडिंग, सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चिंता
देश में सक्रिय साइबर अपराधियों के नेटवर्क के ज़रिए भारत का ही पैसा अब राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता गहराती जा रही है। नेपाल की सीमा से सटे जिलों में ऐसे अपराधियों की सक्रियता बढ़ी है, जो स्लीपर सेल को वित्तीय मदद पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
हाल ही में रायबरेली और बलरामपुर में पकड़े गए साइबर अपराधियों की जांच से एक संगठित मॉड्यूल का खुलासा हुआ है। पहले जहां देश को अस्थिर करने के लिए विदेशों से धन आता था, अब वही पैसा भारत के भीतर से निकलकर दुश्मन ताकतों तक पहुंच रहा है। दुबई, सिंगापुर, चीन और पाकिस्तान की मदद से नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूद स्लीपर सेल को यह पैसा फंडिंग के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है।
एप्रिल में रायबरेली में पकड़े गए चार साइबर अपराधियों की जांच में सामने आया कि पाकिस्तान के रहीम नामक व्यक्ति ने उत्तर प्रदेश और बिहार में स्लीपर सेल को फंड पहुंचाने के लिए इन अपराधियों की मदद ली। इसके लिए चार राज्यों में 150 से अधिक बैंक खाते खोले गए, जिनके माध्यम से लगभग 162 करोड़ रुपये दुबई और पाकिस्तान से भेजे गए। बदले में साइबर अपराधियों को सात से आठ प्रतिशत का कमीशन दिया गया। यही पैसा फिर अन्य खातों के जरिये देश के भीतर और बाहर भेजा गया।
बलरामपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जांच में पाया गया कि बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी बैंक खाते खोले गए। इन खातों से निकाले गए पैसे बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी, दरभंगा और समस्तीपुर के युवाओं के खातों में भेजे गए। इनमें से कुछ युवाओं के संबंध स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) और इंडियन मुजाहिदीन (IM) जैसे प्रतिबंधित संगठनों से भी जुड़े पाए गए।
इसके अलावा, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, बहराइच, पीलीभीत, सिद्धार्थनगर और महराजगंज जैसे नेपाल सीमा से सटे जिलों के बैंक खातों में भी संदिग्ध ट्रांजैक्शनों के प्रमाण मिले हैं।
पूर्व खुफिया ब्यूरो अधिकारी संतोष सिंह के अनुसार, अब साइबर अपराधियों के माध्यम से स्लीपर सेल को फंडिंग की जा रही है। पहले जहां विदेशी पैसे का देश में आना चिंता का विषय था, अब भारत का ही पैसा विदेश जाकर फिर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। रायबरेली और बलरामपुर जैसे नेटवर्क सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।