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मैंने पहले ही चेताया था... उन पर दबाव था': उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे पर अशोक गहलोत का तीखा वार

 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की सियासत में हलचल मचा दी है। उनके इस्तीफे को लेकर जहां सरकार की ओर से चुप्पी देखी जा रही है, वहीं विपक्ष इसे गंभीर राजनीतिक संकेत मान रहा है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे केवल स्वास्थ्य से जुड़ा मामला न मानते हुए गहरी राजनीतिक साजिश करार दिया है।

गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस घटनाक्रम में दखल देने की मांग की है और इस्तीफा वापस लेने के लिए उपराष्ट्रपति को मनाने की अपील की है। उन्होंने कहा, "धनखड़ जी का इस्तीफा सिर्फ निजी फैसला नहीं हो सकता, इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति या दबाव है।"

'सरकार का रवैया हैरान करने वाला'

अशोक गहलोत ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि खबरों के मुताबिक उपराष्ट्रपति को कोई औपचारिक फेयरवेल नहीं दिया जाएगा। उन्होंने इसे सरकार की असंवेदनशीलता और साजिशपूर्ण सोच का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "यह व्यवहार न केवल अपमानजनक है, बल्कि इससे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं।"

10 दिन पहले दी थी चेतावनी

गहलोत ने याद दिलाया कि उन्होंने लगभग 10 दिन पहले जोधपुर में सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष दोनों ही 'दबाव में' कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "धनखड़ जी ने उस वक्त इनकार किया था कि वह किसी दबाव में नहीं हैं, लेकिन कहने और वास्तविकता में अंतर होता है।"

बीजेपी-आरएसएस की 'साज़िश' का संकेत

गहलोत ने इस घटनाक्रम को भाजपा और आरएसएस की संभावित अंदरूनी रणनीति से जोड़ते हुए सवाल उठाया कि कहीं यह किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की तैयारी तो नहीं है। उन्होंने कहा, "यह सामान्य इस्तीफा नहीं है, इसके पीछे कोई गहरा संदेश छिपा हो सकता है।"

स्वास्थ्य कारण पर्याप्त नहीं: गहलोत

उपराष्ट्रपति द्वारा अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया गया है, लेकिन गहलोत इसे पर्याप्त नहीं मानते। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पूर्व में कई शीर्ष नेता गंभीर बीमारियों के बावजूद अपने पदों पर बने रहे। "ऐसे में एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का अचानक इस्तीफा देना, सवालों को जन्म देता है।"

राजस्थान के लिए बड़ा झटका

जगदीप धनखड़ राजस्थान से आते हैं और लंबे समय तक किसान और ग्रामीण मुद्दों पर मुखर रहे हैं। गहलोत ने कहा कि, "राजस्थान के बेटे का इस तरह अचानक पद छोड़ना पूरे राज्य के लिए पीड़ा देने वाला है।" उन्होंने कहा कि इससे पूरे प्रदेश में निराशा की भावना व्याप्त है।