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GST धोखाधड़ी पर करारा प्रहार: किस तरह हो रही है फर्जी ITC क्लेमिंग और कैसे हो रही है कार्रवाई?

 

भारत में जीएसटी लागू होने के बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दुरुपयोग एक गंभीर समस्या बन गया है। हाल ही में जीएसटी अधिकारियों ने 2025-26 की पहली तिमाही में 15,851 करोड़ रुपये की फर्जी आईटीसी धोखाधड़ी पकड़ी है। इसके पीछे 3,558 फर्जी कंपनियां थीं।

हालाँकि यह संख्या पिछले साल के मुकाबले थोड़ी कम है (2024-25 की पहली तिमाही में 3,840), लेकिन धोखाधड़ी की राशि में 29% की वृद्धि दर्शाती है कि जालसाज अब और भी ज्यादा योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं।

कैसे होती है फर्जीवाड़ा?

जीएसटी सिस्टम में कंपनियां अपने सप्लायर्स से खरीदी गई वस्तुओं या सेवाओं पर दिए गए टैक्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में क्लेम कर सकती हैं। परंतु, कई बार बिना असली लेन-देन के केवल बिलिंग करके फर्जी कंपनियां आईटीसी का फायदा उठाने के लिए बनाई जाती हैं। यह सरकार के राजस्व पर बड़ा हमला होता है।

आंकड़ों से समझें:

2024-25 में कुल धोखाधड़ी: ₹61,545 करोड़

पकड़ी गई फर्जी कंपनियाँ: 25,009

2025-26 की पहली तिमाही में वसूली: ₹659 करोड़

गिरफ्तार लोग: 53 (पिछले साल की तिमाही में 26)

सरकार का जवाब – दो बड़े अभियान:

पहला अभियान:

समय: 16 मई - 15 जुलाई 2023

फर्जी इकाइयाँ: 21,791

धोखाधड़ी: ₹24,010 करोड़

दूसरा अभियान:

समय: 16 अप्रैल - 30 अक्टूबर 2024

फर्जी कंपनियाँ: लगभग 18,000

धोखाधड़ी: ₹25,000 करोड़

आगे की राह:

अब इस पर अंकुश लगाने के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक समिति बनाई गई है, जिसकी अध्यक्षता गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत कर रहे हैं। इसका मकसद फर्जी पंजीकरण और आईटीसी दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस नीतियाँ बनाना है।