व्यक्ति पाप एवं पूण्य का फल भी अकेले ही भोगता है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज

व्यक्ति पाप एवं पूण्य का फल भी अकेले ही भोगता है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज
व्यक्ति पाप एवं पूण्य का फल भी अकेले ही भोगता है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज

परम पूज्य आचार्य श्री 108 वसुनंदी जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य श्री 108 उपाध्याय वृषभानन्द जी मुनिराज ससंघ श्री जिनशासन तीर्थक्षेत्र जैन नगर नाकामदार अजमेर में विराजमान है।
यह जानकारी देते हुए मंत्री विनीत कुमार जैन ने बताया कि आज की धर्मसभा में मंगलाचरण श्रावक श्रेष्ठी लोकमन साहबजाज धीमश्री व पवन जैन बढ़ारी अध्यक्ष केसरगंज जैन मंदिर परिवार के द्वारा किया गया एवं आचार्य विद्यानन्द जी एवं वसुनन्दी जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं अनावरण का सौभाग्य पूर्ण्याजक संजय कुमार विजय कुमार श्रीमती मंजू जैन श्रीमती डिम्पल जैन महतिया परिवार के द्वारा किया गया। सांय आनन्द यात्रा में पुरस्कार वितरण में सहयोगकर्ता राधेलाल विमल कुमार जैन साहबजाज परिवार रहे।


इस अवसर पर श्री 108 उपाध्यक्ष वृषभानन्द जी मुनिराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम जैसा कार्य करते है वैसा ही पूण्य का बंद होता है जिस प्रकार पुण्य का उदय होने पर व्यापार में लाभ होता है जिस प्रकार कम पढ़ने पर भी अधिक याद होता है व परिक्षा में भी अधिक अंक आते है। परिक्षा परिणाम भी आषातीत रहता है एवं पाप का उदय आने पर व्यापार में घाटा होता है, व्यक्ति का विवके भी चला जाता है एवं वह अधोवति में विचरण करता है। इसी प्रकार भगवान की वाणी भी पूण्यात्मा के आने पर खीरती है अर्थात् भगवान के श्मोषरण में पूर्ण्यात्मा जीव के आने पर उनका उपदेष उसे प्राप्त होता है। बिना पूण्य के व्यक्ति किसी भी चीज का उपभोग नहीं कर सकता है। व्यक्ति पाप एवं पूण्य का फल भी अकेले ही भोगता है। यहॉं तक कि मोक्ष की प्राप्ति भी अकेले ही होती है उसे अपना कर्मफल भोगना ही पड़ता है। नरको में पूण्य का उदय नहीं होता है। पाप का ही उदय होता है। मनुष्य योनि में सुख भी है दुख भी है उसी प्रकार पाप भी है व पुण्य भीह है परन्तु स्वर्गो में पाप का उदय नहीं होता है। स्वर्ग में सुख ही सुख है व नरक में दुख ही दुख है।


इसी क्रम में सांय 6ः30 बजे आनन्द यात्रा सैकड़ो श्रृद्धालुओं की उपस्थित में धूमधाम से आयोजित की गई। इसमें मुनिराज द्वारा मार्मिक व आध्यात्मिक भजन गाये गये एवं श्रृद्धालुओे से प्रष्न पुछकर उनकी शंका का समाधान किया गया एवं इस अवसर पर विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये गये।
इसी क्रम में कल दिनांक 22 मई बुधवार को प्रातः 6ः30 बजे अभिषेक शांतिधारा व शांतिविधान, प्रातः 8ः30 बजे श्री 108 उपाध्यक्ष वृषभानन्द जी मुनिराज के प्रवचन, प्रातः 9ः30 बजे आहरचर्या, दोपहर 3ः00 से 4ः30 बजे स्वाध्याय, सांय 5ः00 से 5ः30 बजे तक प्रतिकम्रण, सांय 6ः30 बजे आनन्द यात्रा व 7ः30 बजे आरती का कार्यक्रम श्री जिनषासन तीर्थ क्षेत्र जैन नगर नाका मदार अजमेर पर आयाजित किया जायेगा।