शालिग्राम की दो दुर्लभ चट्टानें नेपाल से सड़क मार्ग के जरिए अयोध्या पहुंचाई गईं। दोनों चट्टानों को तराश कर भगवान राम और माता सीता की मूर्ति बनाई जाएगी।
दोनों मूर्तियों को अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने कहा, “ये शालिग्राम चट्टानें 60 मिलियन वर्ष पुरानी हैं। दोनों चट्टानों को अलग-अलग ट्रकों के जरिए बिहार के रास्ते नेपाल से अयोध्या लाया गया है। एक चट्टान का वजन 26 टन जबकि दूसरे का वजन 14 टन है।”
फरवरी को गोरखपुर पहुंची थीं चट्टानें
1 फरवरी की देर रात शालिग्राम चट्टानें गोरखपुर पहुंचाई गईं थीं। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए सैकड़ों लोग गोरखनाथ मंदिर के बाहर खड़े रहे थे। गोरखनाथ मंदिर पहुंचने पर लोगों ने इन देवशिलाओं का पूजन और आरती की। शालिग्राम देवशिलाओं को विधि-विधान से पूजन-अर्चन के बाद अयोध्या के लिए रवाना किया गया था।
नेपाल की काली गंडकी नदी से निकाला पत्थर
दोनों पत्थरों को नेपाल के म्यागडी और मस्तंग जिले से होकर बहने वाली काली गंडकी नदी से निकाला गया है। माता सीता की जन्मस्थली जनकपुर के रहने वाले नेपाली कांग्रेस के नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री बिमलेंद्र निधि की ओर से बताया गया कि जानकी मंदिर से समन्वय के बाद दो पत्थरों को गंडकी नदी से निकाल कर भेजा गया है। यहां शालिग्राम बहुतायत में पाए जाते हैं।
भगवान विष्णु के प्रतीक हैं शालिग्राम पत्थर
बिमलेंद्र निधि ने बताया कि गंडकी नदी में पाए जाने वाले पत्थर दुनिया में काफी प्रसिद्ध और कीमती हैं। माता जाता है कि ये पत्थर भगवान विष्णु के प्रतीक हैं। भगवान राम भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। मैंने अपने सहयोगी और जानकी मंदिर के महंत (पुजारी) राम तपेश्वर दास के साथ अयोध्या का दौरा किया था। हमने ट्रस्ट के अधिकारियों और अयोध्या के अन्य संतों के साथ बैठक की थी। बैठक में निर्णय लिया गया था कि नेपाल की काली गंडकी नदी से पत्थरों की उपलब्धता पर राम लला की मूर्ति बनाना अच्छा होगा।