प्लेन के विंग्स आखिर में से मुड़े क्यों होते हैं?
हवाई जहाज यातायात के सबसे तेज साधनों में से एक है. आज भी अपने देश की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिसने प्लेन का सफर नहीं किया है. अगर आपने प्लेन का सफर नहीं भी किया है तब भी हम आपको बताते हैं कि प्लेन के विंग्स कोने से मुड़े हुए होते हैं.
जिन लोगों ने प्लेन की विंडो सीट पर बैठकर सफर किया है, उन्होंने इस नजारे को बहुत करीब से देखा होगा. लेकिन सवाल यह है कि जब प्लेन के पूरे विंग्स सीधे होते हैं, तो आखिर में से मुड़े हुए क्यों होते हैं? दरअसल, इसके पीछे भी विज्ञान है. आइए समझते हैं ऐसा क्यों किया जाता है...
इसे क्या बोलते हैं?
हालांकि, सभी प्लेन में मुड़े हुए विंग्स नहीं होते हैं. यह दो प्रकार के ही होते हैं. पहले तो अंडाकार और दूसरे ऊपर की ओर से मुड़े हुए. इन्हे Winglet कहा जाता है. Winglet विंग की सरंचना का अतिरिक्त भाग होता है, इसका काम Winglet Vortex को कम करना होता है. Winglet Vortex विंग्स के ऊपरी व निचले हिस्से के बीच उत्पन्न प्रेशर होता है.
Winglet Vortex या Vortices से क्या दिक्कत है?
Vortices हवाई जहाज की स्पीड, रेंज, परफॉर्मेंस और माइलेज को प्रभावित करता है. साइंस एबीसी के अनुसार, प्लेन जब उड़ता है तो उसके विंग्स के ऊपर और नीचे की हवा का दबाव अलग-अलग होता है. इससे विंग्स के आखिर में हवाओं का भंवर बनता है, जिसका असर विमान के माइलेज और बैलेंस पर पड़ता है. Vortex के कारण प्लेन अपना बैलेंस खो सकता है और इमरजेंसी की स्थिति बन सकती है.
Vortices को रोकने का प्लान
Vortices को बनने से रोकने के लिए रिसर्चर्स ने दो सुझाव दिए थे. जिसमें से पहले सुझाव में प्लेन के विंग्स को बेहद लंबा करना इसका हल बताया गया. लेकिन, इसे लागू करना काफी मुश्किल था. दूसरे प्लान में विंग्स की सरंचना इस हिसाब से रखा गया कि ऊपर और निचले दोनों भागों में हवा का प्रेशर बैलेंस हो सके. इस प्लान को मान लिया गया.