चारण साहित्य समारोह 2024

चारण साहित्य समारोह 2024
चारण साहित्य समारोह 2024

चारण साहित्य समारोह 2024
चारण साहित्य के प्रकाशन का हो प्रयास

अजमेर 9 जून। चारण साहित्य शोध संस्थान में रविवार को चारण साहित्य समारोह 2024 का दो सत्रों में आयोजन किया गया। इसमें अप्रकाशित चारण साहित्य के प्रकाशन की दिशा में कार्य करने हेतु विचार व्यक्त किए गए।


संस्थान अध्यक्ष भंवर सिंह चारण ने बताया कि चारण साहित्य समारोह 2024 का आयोजन रविवार को दो सत्रों में हुआ। इसमें चारण साहित्य के संरक्षण के संबंध में विद्वानों द्वारा विचार व्यक्त किए गए। डिंगळ साहित्य के उत्थान पर भी चर्चा की गई। पद्मश्री सी.पी. देवल ने कहा कि चारण साहित्य विपुलता लिए हुए है। इसका अधिकांश भाग आज भी छुपा हुआ है। चारण साहित्यकारों और कवियों के वंशजों के पास उसकी पांडुलिपियां विद्यमान है। इस प्रकार के साहित्य को बाहर लाना होगा। इसका प्रकाशन करने से साहित्य समाज की थाती बन सकेगी। ऐसे साहित्य को प्रकाशन के लिए चारण साहित्य शोध संस्थान में उपलब्ध कराने का आह्वान किया।


अखिल भारतीय चारण महासभा का अध्यक्ष एवं समारोह के मुख्य अतिथि श्री सी. डी. देवल ने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि कुप्रथाओं से दूर रहा जाए। टीका जैसी प्रथा से समाज में बिखराव की आशंका है। इसे दूर करने के लिए समाज को आगे आना चाहिए। शराब सहित सभी प्रकार के नशे को छोड़ने में ही भलाई है। सामूहिक विवाह को अपनाना समय की आवश्यकता है। समाज में शिक्षा का बढ़ावा देने के लिए सामाजिक संस्थाएं अच्छा कार्य कर रही है।
चारण साहित्य समारोह 2024 के समारोह में प्रथम सत्र ‘वाणी तो डिंगळ वदां’ सत्र में डॉ. शक्तिदान कविया स्मृति डिंगळ साहित्य सम्मान श्री डूंगर दान आशिया बलाऊ को प्रदान किया गया। डॉ. कविया के जीवन, कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर भी प्रकाश डाला गया। साथ ही श्री गिरधर दान रतनू दासोड़ी, श्री मेघु दान झणकली तथा श्री मीठे खां मीर द्वारा डिंगळ काव्य पाठ किया गया। प्रो. मंजुला बारैठ ने समान बाई पर वक्तव्य प्रदान किया एवं श्रीमती श्रद्धा आढ़ा ने चारण समाज में महिला सशक्तिकरण पर वक्तव्य प्रदान किया।


श्री ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि डिंगळ भाषा हमारी संस्कृति का मूल है। इसके अभाव में परंपराओं और संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती है। चारण साहित्य समारोह 2024 के दौरान संत ईसर दास कक्ष का उद्घाटन किया गया, इस कक्ष का निर्माण स्व. ठा. सा श्रीमान दुर्गादान जी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनोप कंवर की स्मृति में उनके पुत्र भंवर सिंह जी चारण के द्वारा करवाया  गया। समारोह में लेखक श्री जसकरण बारहठ बागुंडी की पुस्तक मातांजलि का विमोचन किया गया। इस दौरान सप्तम अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष महोत्सव में सर्वाेत्कृष्ट ज्योतिष सम्मान प्राप्त करने पर डॉ. इंदु चारण का अभिनंदन किया गया। कच्छ के प्रसिद्ध समाज सेवक वालजी भाई सिंगोड़ी तथा डॉ. सिद्धार्थ देव मानव को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।


समारोह का दूसरा सत्र चारण साहित्य शोध सम्मान पर केन्द्रित रहाद्य इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. अंबादान जी रोहड़िया ने की एवं सारस्वत अतिथि के रूप में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल कुमार शुक्ला जी मौजूद रहेद्य कार्यक्रम में कच्छ के पूर्व सांसद पुष्पदान भाई एस. गढ़वी ने राव लखपत ब्रज भाषा पाठशाला की प्राचीन पांडुलिपियों की डिजिटल प्रति संस्थान को भेंट कीद्य इस समारोह में चारण जाति एवं साहित्य पर पीएचडी शोध कार्य करने वाले बाढ़ शोधार्थियों को ‘चारण साहित्य शोध सम्मान’ से सम्मानित किया।


इस अवसर पर श्री सी.डी. देवल, प्रो. अनिल कुमार शुक्ला, श्री पुष्प दान भाई एस. गढ़वी, श्री भंवर सिंह चारण, श्री ओंकार सिंह जी लखावत, पद्मश्री डॉ. श्री चंद्र प्रकाश देवल, डॉ. अंबादान रोहड़िया, श्रीमती श्रद्धा आढ़ा, प्रो. मंजुला बारैठ विद्वान सहित मदनदान, विरेन्द्र सिंह, डॉ. लक्ष्मण, डॉ. रामकृपाल, आवरदान, रामेश्वर, संजयदान, रघुवीर सिंह, उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सरोज लखावत ने किया।