1 घंटे की नींद की कमी को रिकवर होने में लगता 4 दिन

1 घंटे की नींद की कमी को रिकवर होने में लगता 4 दिन

जींदगी की भागदौड़ और निरंतर बढ़ते काम के दबाव ने लोगों की नींद पर गहरा और नकारात्मक प्रभाव डाला है। आधुनिक जीवनशैली में समय की कमी, तनाव, और तकनीकी उपकरणों का अत्यधिक उपयोग नींद की गुणवत्ता और अवधि को प्रभावित कर रहा है।

एक तिहाई से अधिक वयस्क सात से आठ घंटे की नींद लेने में विफल रहते हैं, जिसका मानव शरीर पर चौंकाने वाला प्रभाव पड़ सकता है। कई न्यूरोलॉजिस्ट और विशेषज्ञ अच्छी रात की नींद के महत्व और अपर्याप्त नींद के मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर जोर देते रहे हैं। क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

हाल ही में, अपोलो हॉस्पिटल्स हैदराबाद में काम करने वाले न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने दावा किया कि अगर कोई एक घंटे की भी नींद खो देता है, तो उससे उबरने में 4 दिन लग सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे नींद की कमी कई प्रकार के लक्षणों को जन्म दे सकती है, जिनमें सिरदर्द, खराब फोकस, बढ़ती चिड़चिड़ापन और यहां तक ​​कि खराब निर्णय लेने की क्षमता भी शामिल है।

अब सवाल यह है कि क्या नींद के घंटों में कमी की भरपाई दिन में सोने से की जा सकती है? डॉक्टर ने जवाब दिया कि बिल्कुल, रात में एक बार में 7-9 घंटे सोना सबसे अच्छा विकल्प है। हालांकि, अगर कोई रात में पूरी नींद नहीं ले पाता है, तो वह दिन में सोकर नींद की कमी की भरपाई कर सकता है।

नींद की औसत मात्रा को समझें

3 महीने के नवजात शिशु: 14 से 17 घंटे।

4 से 12 महीने के शिशु: 12 से 16 घंटे।

1 से 5 साल के छोटे बच्चे: 10 से 14 घंटे।

6 से 12 साल के स्कूल जाने वाले बच्चे: 9 से 12 घंटे।

13 से 18 साल: 8 से 10 घंटे।

18 साल और उससे अधिक के वयस्क: 7 से 9 घंटे।

नींद की कमी के प्रभावों को समझें...

नींद की भूमिका: नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह स्मृति, सीखने, मूड, और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। पर्याप्त नींद न मिलना न केवल थकान और चिड़चिड़ापन बढ़ा सकता है, बल्कि यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है।

शरीर पर प्रभाव: जब हम नींद की कमी का अनुभव करते हैं, तो यह हमारे शरीर की विभिन्न प्रणालियों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके परिणामस्वरूप, हमें नींद की कमी से उबरने के लिए अधिक समय लगता है। एक घंटे की नींद खोने पर शरीर को सामान्य स्थिति में लौटने में चार दिन लग सकते हैं, क्योंकि शरीर को खोई हुई नींद को पुनः प्राप्त करने और उसकी कमी से हुए नुकसान को ठीक करने में समय लगता है।

नींद की कमी के परिणाम:

मस्तिष्क की कार्यक्षमता में कमी: नींद की कमी से एकाग्रता, निर्णय लेने की क्षमता, और स्मृति प्रभावित होती है।

शारीरिक स्वास्थ्य: यह दिल की बीमारियों, मोटापा, और मधुमेह जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकती है।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव: चिंता, अवसाद, और मूड स्विंग्स जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।

अनुसंधान और अध्ययन: कई अध्ययन यह दर्शाते हैं कि नींद की कमी से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। नींद की कमी से उत्पन्न तनाव और शरीर पर उसके प्रभावों का अध्ययन करने वाले शोध में यह पाया गया है कि शरीर को सामान्य स्थिति में लौटने में अपेक्षाकृत लंबा समय लगता है।