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                        "ईरान-इस्राइल युद्ध से बढ़ सकता है आर्थिक संकट: तेल के दाम उछलने का खतरा, महंगाई फिर चढ़ सकती है सिर पर"
ईरान-इस्राइल युद्ध से फिर संकट में वैश्विक बाजार, भारत में महंगाई बढ़ने की आशंका
ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते युद्ध ने दुनिया भर के आर्थिक बाजारों में हड़कंप मचा दिया है। इस्राइल द्वारा ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। निवेशकों में घबराहट के चलते वे सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे सोना और डॉलर एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं।
इस टकराव का सबसे बड़ा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा है। ब्रेंट क्रूड की कीमत 8.84% बढ़कर 75.49 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। चूंकि ईरान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है, ऐसे में उसके तेल कुओं पर हमला होने या उत्पादन रुकने की स्थिति में कीमतें और बढ़ सकती हैं।
भारत पर असर:
भारत अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात के जरिए पूरा करता है। 2024 में भारत ने 40 से अधिक देशों से तेल आयात किया, जिनमें रूस, सऊदी अरब, इराक और यूएई प्रमुख रहे। हालांकि ईरान पर संकट गहराने के बाद ओपेक देशों से आयात महंगा हो सकता है। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का खतरा है।
अगर ऐसा होता है, तो इसका असर केवल ईंधन पर ही नहीं, बल्कि परिवहन, माल ढुलाई और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ सकता है। अभी हाल ही में महंगाई दर घटकर 2.82% पर आ गई थी और रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कटौती कर इसे 5.50% पर ला दिया था। इससे उपभोक्ताओं को कर्ज की किस्तों में राहत मिलने की उम्मीद थी। लेकिन मौजूदा हालात इस राहत को उलट सकते हैं।
निष्कर्ष:
अगर ईरान-इस्राइल युद्ध लंबा खिंचता है, तो इसका असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी पड़ेगा। भारत जैसे तेल-निर्भर देशों के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है। सरकार को अब रणनीतिक तेल भंडारण और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर गंभीरता से विचार करना होगा।