 
                            
                        शरद पूर्णिमा आज: जानें चंद्रमा की अमृतवर्षा में कब रखें खीर और कैसे करें मां लक्ष्मी की आराधना
आज शरद पूर्णिमा का पावन पर्व है — वर्ष की वह अद्भुत रात जब चांद अपनी सोलहों कलाओं से पूर्ण होकर आकाश में अमृत बरसाता है। ज्योतिष शास्त्रों में इसे अत्यंत शुभ और कल्याणकारी तिथि माना गया है, क्योंकि इसी दिन से शरद ऋतु का आरंभ होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था, इसलिए यह रात्रि प्रेम, सौंदर्य और कलाओं की प्रतीक मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व बरसता है — जो भी व्यक्ति इस अमृत का सेवन करता है, उसे सौभाग्य, धन और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है।
---
🕉️ शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 6 अक्टूबर, दोपहर 12:23 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर, सुबह 9:16 बजे
👉 उदयातिथि के अनुसार, शरद पूर्णिमा आज, 6 अक्टूबर को मनाई जा रही है।
---
🌝 चांदनी में खीर रखने का शुभ मुहूर्त
शास्त्रों में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा की रात खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने से उसमें अमृत तत्व समाहित हो जाते हैं।
मुहूर्त: रात 10:37 से रात 12:09 बजे तक
यह समय सबसे शुभ और प्रभावी माना गया है। इस दौरान खीर को खुले आकाश के नीचे, चांद की रोशनी में रखें और भगवान चंद्रदेव का ध्यान करें।
---
⚠️ पंचक का प्रभाव
इस वर्ष शरद पूर्णिमा पंचक के साये में पड़ रही है। पंचक की शुरुआत 3 अक्टूबर से हुई थी और यह 8 अक्टूबर तक चलेगा। इसलिए इस अवधि में गृह निर्माण या नया कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए, हालांकि पूजा-पाठ और उपासना पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
---
🌺 मां लक्ष्मी की आराधना विधि
शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी की विशेष पूजा का विधान है।
1. रात्रि में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. मां लक्ष्मी के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
3. उन्हें गुलाब या कमल के फूल अर्पित करें।
4. ‘इंद्रकृत लक्ष्मी स्तोत्र’ का पाठ करें और धन-संपन्नता, सुख-शांति की प्रार्थना करें।
5. रात्रि में खीर बनाएं, पहले भगवान को भोग लगाएं और फिर उसे चांदनी में रखें।
6. अगली सुबह उस खीर को प्रसाद रूप में ग्रहण करें और बांटें — यह अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है।
---
✨ मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। जो घर स्वच्छ, दीपमय और भक्ति से भरा होता है, वहां स्थायी रूप से धन-समृद्धि का वास होता है।