बांसवाड़ा में खांसी की दवा से सात बच्चे बीमार, दवा की आपूर्ति पर रोक
बांसवाड़ा (राजस्थान):
राजस्थान में खांसी की दवा डेक्स्ट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप के दुष्प्रभाव का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। भरतपुर, जयपुर और सीकर के बाद अब बांसवाड़ा जिले में भी इस सिरप के सेवन से बच्चों के बीमार होने की घटनाएं सामने आई हैं। बीते पखवाड़े में सात बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराना पड़ा।
बताया गया कि इन बच्चों को सर्दी-खांसी के इलाज के लिए यह सिरप सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों द्वारा दी गई थी। लेकिन दवा के सेवन के बाद बच्चों को सांस लेने में तकलीफ और गहरी नींद जैसी परेशानियां होने लगीं।
स्थानीय निवासी मोहम्मद शौकीन ने बताया कि उनकी दो वर्षीय बेटी को सरकारी क्लिनिक से यह सिरप दी गई थी। दवा लेने के कुछ समय बाद बच्ची की सांसें धीमी हो गईं और वह अचेत अवस्था में चली गई। समय पर जिला अस्पताल में भर्ती कराने से उसकी जान बचाई जा सकी। फिलहाल बच्ची की हालत में सुधार है।
50 हजार डोज पहुंचे, 13 हजार वितरित, वितरण पर रोक
आरएमएससीएल (राज्य चिकित्सकीय सेवा निगम लिमिटेड) के जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि बांसवाड़ा जिले में इस सिरप के कुल 50,000 डोज भेजे गए थे, जिनमें से 13,000 डोज चिकित्सा केंद्रों को वितरित किए जा चुके थे। शेष 37,000 डोज अभी वेयरहाउस में सुरक्षित रखे गए हैं। फिलहाल, उच्च अधिकारियों के निर्देश पर इस दवा का वितरण और उपयोग पूरी तरह से रोक दिया गया है।
डॉ. गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि बांसवाड़ा में जिन बच्चों को समस्या हुई, उन्हें जिस बैच की दवा दी गई थी, उसकी आपूर्ति यहां नहीं की गई थी। इसके बावजूद, सतर्कता के तौर पर पूरी सप्लाई पर रोक लगा दी गई है।
राज्यभर में सतर्कता बढ़ी
सूत्रों के अनुसार, आरएमएससीएल द्वारा राज्यभर में इस खांसी की दवा के कुल 21 बैच वितरित किए गए थे। इसके बाद कई जिलों से बच्चों की तबीयत बिगड़ने की शिकायतें सामने आईं। वर्तमान में पूरे राज्य में इस सिरप के वितरण पर रोक लगा दी गई है और सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।