क्या अब विदेशों से यूरेनियम की खदानें खरीदेगा भारत? एनटीपीसी नियुक्त करेगी सलाहकार
भारत की प्रमुख ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड अब परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए यूरेनियम की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। कंपनी विदेशों में यूरेनियम खदानों की पहचान के लिए एक सलाहकार नियुक्त करेगी। यह प्रक्रिया, यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (UCIL) के साथ एक संयुक्त समझौते पर हस्ताक्षर के बाद शुरू की जाएगी।
ऊर्जा सुरक्षा को मिलेगा बल
एनटीपीसी का यह रणनीतिक कदम न केवल उसकी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि भारत को भी स्थानीय परमाणु ऊर्जा क्षमताएं बढ़ाने में मदद करेगा। विदेशों में यूरेनियम खदानों में हिस्सेदारी लेने से भारत की वैश्विक बाजार पर निर्भरता कम होगी और आने वाले वर्षों में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को गति मिलेगी।
स्वतंत्र परमाणु परियोजनाओं की तैयारी
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह पहल एनटीपीसी की भविष्य में स्वतंत्र परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने की योजना का हिस्सा है। अभी तक कंपनी मुख्य रूप से थर्मल और सोलर ऊर्जा पर केंद्रित थी, लेकिन अब वह परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है।
42,000 करोड़ का राजस्थान प्रोजेक्ट
वर्तमान में एनटीपीसी, न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) के साथ मिलकर राजस्थान में एक बड़ा परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट स्थापित कर रही है। इस परियोजना का नाम माही बांसवाड़ा राजस्थान एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट (MBRAPP) है, जिसमें एनटीपीसी की 49% और NPCIL की 51% हिस्सेदारी है। इसका कुल निवेश करीब ₹42,000 करोड़ है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांसवाड़ा में इस परियोजना की आधारशिला रखी है।
यह परियोजना अनुषक्ति विद्युत निगम लिमिटेड नामक संयुक्त उपक्रम (JV) के माध्यम से विकसित की जा रही है।
खुद की परमाणु परियोजनाएं होंगी
एनटीपीसी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गुरदीप सिंह ने बताया कि कंपनी भविष्य में खुद की परमाणु परियोजनाएं शुरू करने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए वह कई न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी प्रदाताओं और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है। इससे कंपनी को अपना ऊर्जा पोर्टफोलियो और अधिक विविध और संतुलित बनाने में मदद मिलेगी।
विदेशी खदानों की खोज और मूल्यांकन
एनटीपीसी एक अधिकारी ने जानकारी दी कि कंपनी यूसीआईएल के साथ संयुक्त समझौते की प्रक्रिया में है। यह समझौता विदेशी यूरेनियम खदानों की टेक्नो-कमर्शियल जांच से जुड़ा होगा। समझौते को बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद, एक सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी जो कई देशों में यूरेनियम खदानों की पहचान करेगा।
सलाहकार द्वारा चयनित खदानों का मूल्यांकन भंडार की मात्रा, लॉजिस्टिक लागत और अन्य आर्थिक-तकनीकी पहलुओं के आधार पर किया जाएगा। इसके बाद एनटीपीसी यह निर्णय लेगी कि किन खदानों में निवेश करना उचित होगा।
क्यों अहम है यूरेनियम?
यूरेनियम एक महत्वपूर्ण धातु है, जिसका इस्तेमाल परमाणु बिजलीघरों में ईंधन के रूप में किया जाता है। यह परमाणु ऊर्जा उत्पादन का मुख्य कच्चा माल है। यूरेनियम की स्थिर और विश्वसनीय आपूर्ति के बिना, कोई भी परमाणु बिजलीघर लंबे समय तक सुचारु रूप से नहीं चल सकता।