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                        कन्या पूजन में नवदुर्गा के नौ स्वरूपों का महत्व – जानिए कंजक पूजन का आध्यात्मिक लाभ
नवरात्रि शक्ति उपासना का सबसे पावन पर्व माना जाता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिवत पूजा होती है। अष्टमी और नवमी तिथियों को कन्या पूजन या कंजक पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उन्हें आमंत्रित किया जाता है, उनका पूजन किया जाता है और आदरपूर्वक भोजन कराया जाता है।
कन्याएं देवी का साक्षात स्वरूप
देवी भागवत पुराण में उल्लेख है –
"जहां कन्याओं का पूजन होता है, वहां मां दुर्गा स्वयं प्रसन्न होकर वास करती हैं।"
इसलिए माना जाता है कि श्रद्धा और भक्ति के साथ कन्याओं की पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत, जाप और अनुष्ठान के बाद कन्या पूजन को साधना का अंतिम और फलदायी चरण माना जाता है। यह कर्म प्रतीक है उस शुद्ध, मासूम और शक्तिशाली ऊर्जा का जो देवी के रूप में इन कन्याओं में विराजमान होती है।
नवदुर्गा के नौ रूप और कन्याओं का पूजन
देवी भागवत में 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को नवदुर्गा के रूप में पूजा जाता है। हर आयु वर्ग की कन्या एक विशिष्ट देवी स्वरूप की प्रतीक होती है:
| आयु | देवी स्वरूप | पूजन का फल | 
|---|---|---|
| 2 वर्ष | कुमारिका | आयु, बल और धन की प्राप्ति | 
| 3 वर्ष | त्रिमूर्ति | सुख-समृद्धि में वृद्धि | 
| 4 वर्ष | कल्याणी | विवाह और मांगलिक कार्यों में सफलता | 
| 5 वर्ष | रोहिणी | उत्तम स्वास्थ्य लाभ | 
| 6 वर्ष | कालिका | शत्रु नाश और भय से मुक्ति | 
| 7 वर्ष | चंडिका | साहस और आत्मबल में वृद्धि | 
| 8 वर्ष | शांभवी | दुख और दरिद्रता का नाश | 
| 9 वर्ष | दुर्गा | रोगों से मुक्ति और कठिन कार्यों में सफलता | 
| 10 वर्ष | सुभद्रा | मोक्ष व आत्मिक शांति की प्राप्ति | 
ध्यान दें: 10 वर्ष से अधिक आयु की कन्याओं को कुमारी पूजन में शामिल नहीं किया जाता।
कन्या पूजन की विधि
सुबह स्नान और पूजा के बाद भगवान गणेश और मां दुर्गा की आराधना करें।
9 कन्याओं और एक बालक (लांगुरिया/भैरव) को आमंत्रित करें।
स्वागत स्वरूप सभी कन्याओं के पैर धोएं और उन्हें साफ कपड़े से पोंछकर आसन पर बैठाएं।
उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं और पूजा अर्पित करें।
सभी कन्याओं को भोजन कराएं – हलवा, पूड़ी, चना आदि का प्रसाद दिया जाता है।
अंत में उन्हें दक्षिणा, उपहार या वस्त्र देकर सम्मानपूर्वक विदा करें।
कन्या पूजन से मिलने वाले लाभ:
मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
रोग, शत्रु और कष्टों का नाश होता है।
साधना को पूर्ण फल प्राप्त होता है।
परिवार में मंगल कार्यों में बाधाएं दूर होती हैं।