वायुसेना को नई उड़ान: मिग-21 की जगह लेगा स्वदेशी तेजस, HAL के साथ 62,370 करोड़ का ऐतिहासिक समझौता
भारतीय वायुसेना को मिलने जा रही है एक नई ताकत। रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 97 तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 62,370 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा रक्षा सौदा किया है। ये विमान 2027-28 से वायुसेना को मिलने शुरू होंगे और पुराने मिग-21 विमानों की जगह लेंगे।
तेजस: स्वदेशी तकनीक से लैस मल्टी-रोल फाइटर
तेजस एमके-1ए एक आधुनिक, हल्का और मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जिसमें 64% से अधिक स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया गया है। इसमें 'स्वयम् रक्षा कवच' और अत्याधुनिक कंट्रोल एक्ट्यूएटर्स जैसे कई एडवांस फीचर्स शामिल हैं। इस बार 67 नए स्वदेशी पुर्जे भी इसमें जोड़े गए हैं, जो इसे और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं।
तेजस का उपयोग:
हवाई सुरक्षा (Air Defence)
समुद्री निगरानी (Maritime Surveillance)
सटीक स्ट्राइक मिशन (Precision Strike Missions)
में किया जा सकेगा, जिससे यह एक बहुपयोगी (Multi-role) लड़ाकू विमान बनता है।
डिलीवरी टाइमलाइन और रणनीतिक महत्व
रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन विमानों की डिलीवरी 2027-28 से शुरू होगी। फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 स्क्वाड्रन ही हैं, जबकि उसकी जरूरत 42 स्क्वाड्रन की है। ऐसे में तेजस की डिलीवरी वायुसेना के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
पहले भी हो चुका है बड़ा तेजस सौदा
यह पहला मौका नहीं है जब तेजस को लेकर HAL और रक्षा मंत्रालय के बीच बड़ा सौदा हुआ है। फरवरी 2021 में भी सरकार ने 83 तेजस एमके-1ए विमानों की खरीद के लिए 48,000 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था। नया सौदा उस दिशा में एक और बड़ा कदम है, जो भारत की एयरोस्पेस क्षमता और आत्मनिर्भरता को नई ऊंचाई देगा।
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगी मजबूती
यह सौदा न केवल वायुसेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि भारत के 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन को भी गति देगा। स्वदेशी डिजाइन और तकनीक से बना तेजस भारत को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक वैश्विक खिलाड़ी बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।
निष्कर्ष: भारत को मिलेगी रणनीतिक बढ़त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट समिति ऑन सिक्योरिटी की मंजूरी के बाद हुए इस ऐतिहासिक सौदे को भारत के लिए एक रणनीतिक मील का पत्थर माना जा रहा है। यह न केवल देश की वायुशक्ति को मजबूती देगा, बल्कि अमेरिका, इज़राइल जैसे देशों के समकक्ष खड़े होने की भारत की क्षमता को भी दर्शाता है।