हमारा जीवन एक बीज की तरह है जिसे हम सद् संस्कारो की भूमि में डालकर एक विषाल वृक्ष का रूप दे सकते है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज

हमारा जीवन एक बीज की तरह है जिसे हम सद् संस्कारो की भूमि में डालकर एक विषाल वृक्ष का रूप दे सकते है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज
हमारा जीवन एक बीज की तरह है जिसे हम सद् संस्कारो की भूमि में डालकर एक विषाल वृक्ष का रूप दे सकते है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज

हमारा जीवन एक बीज की तरह है जिसे हम सद् संस्कारो की भूमि में डालकर एक विषाल वृक्ष का रूप दे सकते है -108 उपाध्याय वृषभानंद जी मुनिराज
- परम पूज्य आचार्य श्री 108 वसुनंदी जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य श्री 108 उपाध्याय वृषभानन्द जी मुनिराज ससंघ श्री जिनशासन तीर्थक्षेत्र जैन नगर नाकामदार अजमेर में विराजमान है।
यह जानकारी देते हुए राहुल जैन पंचगईया ने बताया कि आज की धर्मसभा में मंगलाचरण एवं आचार्य विद्यानन्द जी एवं वसुनन्दी जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं अनावरण का सौभाग्य पूर्ण्याजक विरेन्द्र कुमार जैन बाडमेर वाले अध्यक्ष श्री 1008 शांतिनाथ धर्माथ प्रन्यास नाका मदार अजमेर को प्राप्त हुआ। सांय आनन्द यात्रा में पुरस्कार वितरण में सहयोगकर्ता मनोज कुमार जैन कोलानायक महामंत्री श्री 1008 शांतिनाथ धर्माथ प्रन्यास नाका मदार रहे।
इस अवसर पर श्री 108 उपाध्यक्ष वृषभानन्द जी मुनिराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा जीवन एक बीज की तरह है जिसे हम सद् संस्कारो की भूमि में डालकर एक विषाल वृक्ष का रूप दे सकते है जो प्रतिफल एवं पल्लवित होकर फल प्रदान करता है। अन्यथा हम इस जीवन में संस्कारो की कठोर चट्टान पर डालकर नष्ट भी कर सकते है। मनुष्य जीवन की सार्थकता अपने जीवन को धर्म के साथ जोडकर मानवीय गुणो से ओत प्रोत कर लेने में है यह तभी संभव है जब जीवन धर्म से जुडता है। धार्मिक बनना सरल है परन्तु धर्मात्मा बनने के लिए बहुत साधन की आवष्यकता है। धर्म हमारे जीवन के प्रत्येक विद्या में दुकान, घर, बाजार, मंदिर सब जगह प्रच्चलित होना चाहिये। महत्वपूर्ण यह भी है कि हमने कब सानिध्य कितना किया महत्वपूर्ण यह है कि हमने संत सानिध्य से क्या प्राप्त किया। चंद धार्मिक क्रियाओं को प्राप्त कर लेने मात्र से कोई धर्मात्मा नहीं हो पाता।
इसी क्रम में सांय 6ः30 बजे आनन्द यात्रा सैकड़ो श्रृद्धालुओं की उपस्थित में धूमधाम से आयोजित की गई। इसमें मुनिराज द्वारा मार्मिक व आध्यात्मिक भजन गाये गये एवं श्रृद्धालुओे से प्रष्न पुछकर उनकी शंका का समाधान किया गया एवं इस अवसर पर विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये गये। मंच का संचालन कमेटी सदस्य राहुल जैन पंचगईया द्वारा किया गया।
इसी क्रम में कल दिनांक 25 मई शनिवार को प्रातः 6ः30 बजे अभिषेक शांतिधारा व शांतिविधान, प्रातः 8ः30 बजे श्री 108 उपाध्यक्ष वृषभानन्द जी मुनिराज के प्रवचन, प्रातः 9ः30 बजे आहरचर्या, दोपहर 3ः00 से 4ः30 बजे स्वाध्याय, सांय 5ः00 से 5ः30 बजे तक प्रतिकम्रण, सांय 6ः30 बजे आनन्द यात्रा व 7ः30 बजे आरती का कार्यक्रम श्री जिनषासन तीर्थ क्षेत्र जैन नगर नाका मदार अजमेर पर आयाजित किया जायेगा।