अजमेर/संस्कृति संस्कार और जीवन मूल्यों को लेखन का आधार बनाने को आज आवश्यकता है। वेदों में कहा है मनुर्भव अर्थात पहले अच्छा मनुष्य बनो और अच्छा लिखने के लिए अच्छा पढ़ते रहना चाहिए। ये विचार प्रख्यात वेद विज्ञान एवं साहित्यकार डॉ बद्री प्रसाद पंचोली ने व्यक्त किए। वे अखिल भारतीय साहित्य परिषद अजमेर द्वारा उनके निवास पर रविवार शाम आयोजित "हमारे पुरोधा शब्द साधक" कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। अध्यक्षता कर रहे क्षेत्रीय मंत्री उमेश कुमार चौरसिया ने बताया कि वयोवृद्ध वरिष्ठ साहित्यकारों की रचनाओं के श्रवण और चर्चा के माध्यम से रचनाकर्म के वैशिष्ट्य को समझने की दृष्टि से यह विशेष श्रंखला आरंभ की गयी है।
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