पहले 25 सितंबर को जयपुर में कांग्रेस आलाकमान के एक लाइन के प्रस्ताव को पास नहीं कराया जा सका था. उस दिन से यह माना जा रहा है कि यहां पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह वाली स्थिति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नहीं हो सकती. क्योंकि गहलोत ने भी मीडिया के सामने माफ़ी मांग ली, लेकिन उनके ख़ास लोग का कहना है कि राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत ही आलाकमान हैं.
26 सितंबर 2022 को गहलोत के खास और संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कांग्रेस आलाकमान की हैसियत पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि आलाकमान कुछ नहीं, यह तो बताते ही रहते हैं. उस दिन धारीवाल के घर विधायकों बैठक हुई थी और धारीवाल ने कहा था कि राजस्थान में पंजाब रिटर्न्स की स्क्रिप्ट षड्यंत्रकारी रच रहे हैं. धारीवाल ने विधायकों से कहा कि सीएम अशोक गहलोत हटे तो सरकार रिपीट नहीं होंगी.
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के सबसे ख़ास माने जाने वाले महेश जोशी, शांति धारीवाल और धर्मेद्र राठौड़ को नोटिस मिला था, लेकिन दो महीने में उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ तो अपनी 'गलती' भी स्वीकारने को तैयार भी नहीं हैं. इनका कहना है कि इन्होंने कोई गलती नहीं की है, जबकि कांग्रेस में बवाल होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोनिया गांधी से माफी मांग चुके हैं. गहलोत ने सार्वजनिक रूप से गलती स्वीकार करते हुए कहा कि जो हुआ, वह नहीं होना चाहिए था.
जहां एक तरफ कुछ विधायक इन तीन नेताओं पर कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ अशोक गहलोत सरकार जनवरी में बजट सत्र में जुटी हुई है. इसके लिए सरकार ने सभी मन्त्रालयों से सुझाव भी मांग लिए हैं. उन्हें कोई चिंता नहीं है. सीएम गहलोत के करीबी यह मानकर चल रहे हैं कि कुछ नहीं होना है. समय-समय पर अशोक गहलोत भी इस बात का संकेत देते रहे हैं.
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में शुरू होने वाली है. उससे पहले यहां पर OBC आरक्षण को लेकर माहौल गर्म था, लेकिन उन्होंने पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में हल निकाल दिया है. उसके बाद से जो विधायक और मंत्री गहलोत सरकार पर हमला बोल रहे थे अब वो भी शांत हो गए हैं. गहलोत ने अपने खिलाफ ' विरोध का खुला' मैदान नहीं छोड़ा है. 25 सितंबर की जो घटना जयपुर में घटी है वो सबसे बड़ा प्रमाण है. फिलहाल कांग्रेस अभी राहुल गांधी की यात्रा और सरदारशहर के उपचुनाव में व्यस्त दिख रही है.